दोस्त और दोस्ती / Friend & Friendship

     कुछ रिश्ते रब बनाता है, कुछ रिश्ते लोग बनाते है। पर कुछ लोग बिना किसी रिश्ते के, रिश्ते निभाते है, शायद वो ही ‘दोस्त’ कहलाते है।
     कहते है दोस्ती सब रिश्तों मे सबसे बडा़ रिश्ता है। दोस्ती वो है जो मुश्किल वक्त मे कहे, “तु अकेला नहीं है, हम मिलकर सामना करेंगे।” दोस्त वो है जो तब आपके साथ खडा़ होता है जब सारे आपके खिलाफ हो।जो आपको और आपकी भावना को समजे वही दोस्त है। दोस्त वो है जो आपके पीठ पीछे बुराई न करता है और न सुनता है। दोस्त वह है जो, आप कुछ भी गलत करो तो आपको डॉंटे और जो आपके साथ गलत करें उसे भी डॉंटे। दोस्त वह है जो आपकी जीन्दगी, खुशी, दु:ख को अपना समजे।दोस्तो के बीच कोई निजी मामला नहीं होता। मैने तेरे लिए ये किया या वो किया, उस वक्त मैने तेरा साथ निभाया... ऐसे शब्दों से कभी एहसान नहीं जताता दोस्त न ही उसके बदले मे कुछ मागता है।
     आपको दोस्त कहने वाले बहुत मिलेंगे पर जिनके साथ आपका यहॉं बताया वैसा रिश्ता नहीं है तो वो आपका दोस्त नहीं बल्की पहचानवाला है।उसके साथ आपकी सिर्फ पहचान है, दोस्ती नहीं। दोसती और पहचान के बीच का फर्क जानीए। जो इस फर्क को नहीं जानता, वो दोस्ती के नाम पर दगा पाता है और अपने दिल मे दर्द पा लेता है। पर दोस्ती कभी दगा नहीं करती और जो दगा करे वो दोस्ती ही नही होती।


                          कृष्ण आप सबका भला करें । 🙌🏼
                              जय श्री कृष्ण ! 🙏🏼😊

                           
                 



     Some relations make by God & some are by people. But some people without any relation, keep up relationship & may be only they are called 'Friends'.
     It is said that friendship is the biggest relationship among all relationships. Friendship is who said in difficult time, "You are not alone, we will face together." A friend is someone who stands with you when everyone is against you.The friend is who understands you and your feelings. Friend is the one who does not do evil behind you and also does not listen. Friend is the one who, if you do anything wrong, then you should be scolded and also scolded anyone else  who do wrong with you. A friend is someone who takes your life, happiness, sorrow as his.There is no personal matter between friends. I did this or that for you, at that time I was with you ... a friend never owe such words nor does he ask for anything in return.
     You will find many persons who says they are friends but with whom you do not have such a relationships mentioned  here, then he is not your friend but only a known person.You only know him, not friendship. Know the difference between friendship and recognizance. He who does not know this difference, get hurts in the name of friendship and get distress in his heart. But friendship never betrays and what betrays, is never friendship.

                              May Krishna Bless You All ! 🙌🏼
                                      Jay Shri Krishna ! 🙏🏼😊

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